डैनियल

डेनियल की किताब

 

अध्याय 1

यहोयाकीम की बंधुआई में अशपनज ने दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को पकड़ लिया, जो बुद्धि में उनका महामहिम थे।

1 यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के तीसरे वर्ष में बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम में आकर उसे घेर लिया।

2 और यहोवा ने यहूदा के राजा यहोयाकीम को उसके हाथ में कर दिया, और परमेश्वर के भवन के कुछ पात्र भी उसके हाथ में कर दिए; जिसे वह शिनार देश में अपके देवता के भवन में ले गया; और वह पात्र अपके परमेश्वर के भण्डार में ले आया।

3 तब राजा ने अपके खोजे हुए स्वामी अशपनज से कहा, कि इस्राएलियों, और राजवंशोंऔर हाकिमोंमें से कुछ को वह ले आए;

4 जिन बालकों में कोई दोष नहीं, वरन सुहावना, और सब प्रकार की बुद्धि में निपुण, और ज्ञान, और विज्ञान की समझ रखने में कुशल, और जो राजभवन में खड़े होने की क्षमता रखते थे, और जिन्हें वे विद्या और विद्या की शिक्षा देते थे। कसदियों की जीभ।

5 और राजा ने उनके लिये प्रतिदिन राजा के भोजन और उसके पिए हुए दाखमधु का भोजन ठहराया; इस प्रकार तीन वर्ष तक उनका पालन-पोषण करता रहा, कि उसके अन्त में वे राजा के साम्हने खड़े हों।

6 इन में से यहूदा के वंश में से थे, दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह;

7 जिनके नाम खोजों के प्रधान ने रखे; क्योंकि उस ने दानिय्येल का नाम बेलतशस्सर रखा; और शद्रक के हनन्याह को; और मेशक के मीशाएल को; और अबेदनगो के अजर्याह को।

8 परन्तु दानिय्येल ने मन ही मन ठान लिया, कि वह राजा के मांस में से अपके अपके को अशुद्ध न करे, और न उस दाखमधु से जो उस ने पिया हो; इसलिथे उस ने खोजोंके प्रधान से बिनती की, कि वह अपके आप को अशुद्ध न करे।

9 परमेश्वर ने दानिय्येल को खोजे लोगों के प्रधान के साथ अनुग्रह और कोमल प्रेम किया था।

10 तब खोजे के प्रधान ने दानिय्येल से कहा, मैं अपके प्रभु राजा का भय मानता हूं, जिस ने तेरे भोजन और अर्घ को ठहराया है; क्‍योंकि वह तेरी ही सन्‍तान से अधिक तेरे मुख को क्‍यों पसंद करे? तब तुम मेरे सिर को राजा के साम्हने जोखिम में डाल देना।

11 तब दानिय्येल ने मेलसार से कहा, जिसे खोजे के प्रधान ने दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह पर प्रधान ठहराया था;

12 दस दिन तक अपके दासोंको, मैं तुझ से बिनती करता हूं; और वे हमें खाने को दाल, और पीने को जल दें।

13 तब हमारे मुंह तेरे साम्हने देखे जाएं, और जो बालक राजा के मांस में से कुछ खाते हैं, उनका मुख भी तेरे साम्हने देखा जाए; और जैसा तू देखता है, वैसा ही अपके दासोंके साथ व्यवहार करना।

14 सो उस ने इस विषय में उन से हामी भर ली, और दस दिन तक उनकी परीक्षा ली।

15 और दस दिन के बीतने पर उनके मुख उन सब बालकोंसे जो राजा का मांस खाते थे, अधिक सुन्दर और मांसल दिखाई देने लगे।

16 इस प्रकार मेलसार ने उनके भोजन का भाग, और वह दाखमधु जो उन्हें पीना था, ले लिया; और उन्हें नब्ज दी।

17 इन चारों बालकों के विषय में परमेश्वर ने उन्हें सब प्रकार की विद्या और बुद्धि का ज्ञान और निपुणता दी; और दानिय्येल सब दर्शनों और स्वप्नों में समझ रखता था।

18 उन दिनों के अन्त में जब राजा ने कहा था कि मैं उन्हें भीतर ले आऊंगा, तब खोजे का प्रधान उन्हें नबूकदनेस्सर के साम्हने ले आया।

19 और राजा ने उन से बातचीत की; और उन सब में दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह के तुल्य कोई न मिला; इस कारण वे राजा के साम्हने खड़े रहे।

20 और जितनी बुद्धि और समझ के विषय में राजा ने उन से पूछा, उन सब में उस ने उन्हें उसके सारे राज्य के सब तांत्रिकोंऔर जतिनवादियोंसे दस गुणा अच्छा पाया।

21 और दानिय्येल राजा कुस्रू के पहिले वर्ष तक बना रहा।


अध्याय 2

नबूकदनेस्सर का सपना — दानिय्येल की व्याख्या — दानिय्येल की उन्नति।

1 और नबूकदनेस्सर के राज्य के दूसरे वर्ष में नबूकदनेस्सर ने स्वप्न देखे, जिस से उसका मन व्याकुल हो गया, और उसकी नींद उस से दूर हो गई।

2 तब राजा ने आज्ञा दी, कि वे जादूगरों, और ज्योतिषियों, और टोन्हों, और कसदियोंको बुलवाएं, कि वे राजा को उसके स्वप्न दिखाए। सो वे आकर राजा के साम्हने खड़े हो गए।

3 तब राजा ने उन से कहा, मैं ने एक स्वप्न देखा है, और मेरा मन उस स्वप्न को जानकर व्याकुल हो गया।

4 तब कसदियोंने अराम के राजा से कहा, हे राजा, सदा जीवित रहे; अपने दासों को स्वप्न बता, और हम उसका फल बताएंगे।

5 राजा ने कसदियों से कहा, यह बात मुझ से दूर हो गई है; यदि तुम मुझे स्वप्न का फल देकर उसका फल न सुनाओगे, तो टुकड़े टुकड़े कर दिए जाओगे, और तुम्हारे घर गढ़े हो जाएंगे।

6 परन्तु यदि तुम स्वप्न और उसका फल दिखाओ, तो मुझ से भेंट और प्रतिफल और बड़ा आदर पाओगे; इसलिए मुझे वह स्वप्न और उसका अर्थ दिखा।

7 उन्होंने फिर उत्तर दिया, कि राजा अपके दासोंको वह स्वप्न बताए, और हम उसका फल बताएंगे।

8 राजा ने उत्तर दिया, कि मैं निश्चय जानता हूं, कि तुम समय को पाओगे, क्योंकि तुम देखते हो, कि वह बात मुझ से दूर हो गई है।

9 परन्तु यदि तुम मुझे स्वप्न का समाचार न दोगे, तो तुम्हारे लिथे एक ही आज्ञा है; क्योंकि समय के न बदलने तक तुम ने मेरे साम्हने बोलने के लिथे झूठ और भ्रष्ट बातें तैयार की हैं; इसलिए मुझे स्वप्न बताओ, और मैं जानूंगा कि तुम मुझे उसका अर्थ बता सकते हो।

10 कसदियों ने राजा के साम्हने उत्तर दिया, कि पृय्वी पर ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो राजा की बात प्रगट कर सके; इस कारण न कोई राजा, और न प्रभु, और न हाकिम, जिस ने किसी जादूगर, वा ज्योतिषी, वा कसदी से ऐसी बातें मांगी हों।

11 और यह दुर्लभ वस्तु है जो राजा मांगता है, और देवताओं को छोड़, जिनका निवास मांस के साथ नहीं है, राजा को कोई दूसरा नहीं दिखा सकता।

12 इस कारण राजा क्रोधित और अति क्रोधित हुआ, और उसने बाबुल के सब पण्डितों को नाश करने की आज्ञा दी।

13 और यह आज्ञा निकली कि पण्डितोंका घात किया जाए; और उन्होंने दानिय्येल और उसके साथियों को मारे जाने की मांग की।

14 तब दानिय्येल ने राजा के जल्लादोंके प्रधान अर्योक को जो बाबुल के पण्डितोंको घात करने को निकला था, सम्मति और बुद्धि से उत्तर दिया;

15 उस ने उत्तर दिया, और राजा के प्रधान अर्योक से कहा, राजा की ओर से यह आज्ञा इतनी उतावली क्यों है? तब अर्योक ने दानिय्येल को यह बात बता दी।

16 तब दानिय्येल ने भीतर जाकर राजा से बिनती की, कि उसे कुछ समय दे, और वह उसका फल राजा को दिखाए।

17 तब दानिय्येल ने अपके घर जाकर यह बात हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह अपके साथियोंको बताई;

18 कि वे इस भेद के विषय में स्वर्ग के परमेश्वर की दया चाहते हों; कि दानिय्येल और उसके संगी बाबुल के और पण्डितोंके संग नाश न हों।

19 तब वह भेद दानिय्येल पर रात के दर्शन में प्रगट हुआ। तब दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्वर को आशीर्वाद दिया।

20 दानिय्येल ने उत्तर देकर कहा, परमेश्वर का नाम सदा सर्वदा धन्य हो; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं;

21 और वह समयों और समयों को बदल देता है; वह राजाओं को हटाता, और राजाओं को स्थिर करता है; वह बुद्धिमानों को बुद्धि और समझ को जाननेवालों को ज्ञान देता है;

22 वह गूढ़ और गुप्त बातें प्रगट करता है; वह जानता है कि अन्धकार में क्या है, और ज्योति उसके साथ रहती है।

23 हे मेरे पुरखाओं के परमेश्वर, जिस ने मुझे बुद्धि और पराक्रम दिया है, और जो कुछ हम ने तुझ से चाहा है, वह मुझे बताया है, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, और तेरी स्तुति करता हूं; क्योंकि तू ने अब हमें राजा की बात बता दी है।

24 इसलिथे दानिय्येल अर्योक के पास गया, जिसे राजा ने बेबीलोन के पण्डितोंको नाश करने के लिथे ठहराया या; उस ने जाकर उस से योंकहा; बाबुल के पण्डितों का नाश न करो; मुझे राजा के साम्हने भीतर ले आओ, और मैं राजा को उसका फल बताऊंगा।

25 तब अर्योक ने दानिय्येल को फुर्ती से राजा के साम्हने बुलवाकर उस से योंकहा, कि मुझे यहूदा के बन्धुओं में से एक पुरूष मिला है, जो उसका फल राजा को बताएगा।

26 राजा ने उत्तर देकर दानिय्येल से, जिसका नाम बेलतशस्सर था, कहा, क्या तू वह स्वप्न जो मैं ने देखा है, और उसका फल भी मुझे बता सकता है?

27 दानिय्येल ने राजा के साम्हने उत्तर दिया, कि जो भेद राजा ने मांगा है, वह पण्डित, ज्योतिषी, तांत्रिक, और भविष्यद्वाणी करने वाले राजा को नहीं बता सकते;

28 परन्तु स्वर्ग में एक परमेश्वर है जो भेदों को प्रगट करता है, और राजा नबूकदनेस्सर को बताता है कि अन्त के दिनों में क्या होगा। तेरा स्वप्न और तेरे बिछौने पर सिर के दर्शन ये हैं;

29 हे राजा, अपके बिछौने पर तेरे मन में विचार आया, कि अब से क्या होने वाला है; और जो भेद प्रगट करता है, वह तुझे प्रगट करता है, कि क्या होने वाला है।

30 परन्तु यह भेद मुझ पर किसी प्रकार की बुद्धि के कारण नहीं, जो मेरे पास किसी जीव से अधिक है, परन्‍तु उन के निमित्त प्रकट होता है, जो राजा को उसका फल बता दें, और तू अपके मन की बातें जान ले।

31 हे राजा, तू ने देखा, और एक बड़ी मूरत देख। यह महान मूरत, जिसका तेज बड़ा था, तेरे साम्हने खड़ा रहा, और उसका रूप भयानक था।

32 इस मूरत का सिर उत्तम सोने का, और उसकी छाती और हाथ चान्दी का, और उसका पेट और उसकी जांघें पीतल की थीं।

33 उसके पांव लोहे के, उसके पांव लोहे के, और कुछ भाग मिट्टी के।

34 जब तक तू ने देखा, कि एक पत्थर बिना हाथ के काट डाला गया, जिस ने मूरत को उसके पांवोंपर जो लोहे और मिट्टी के थे, ऐसा लगकर चकनाचूर कर दिया।

35 तब लोहा, मिट्टी, पीतल, चान्दी और सोना दोनों टुकड़े टुकड़े हो गए, और ग्रीष्मकाल में खलिहान की भूसी के समान हो गए; और आँधी उन्हें उठा ले गई, कि उनके लिथे कोई स्थान न मिला; और वह पत्यर जिस ने मूरत को मारा, वह बड़ा पहाड़ बन गया, और सारी पृय्वी में भर गया।

36 यह स्वप्न है; और उसका अर्थ हम राजा के साम्हने बताएंगे।

37 हे राजा, तू राजाओं का राजा है; क्‍योंकि स्‍वर्ग के परमेश्वर ने तुझे राज्य, पराक्रम, बल, और महिमा दी है।

38 और जहां कहीं मनुष्य निवास करते हैं, वहां मैदान के पशु और आकाश के पक्षी उस ने तेरे वश में कर दिए हैं, और तुझे उन सब का अधिकारी ठहराया है। यह सोने का सिर तू है।

39 और तेरे बाद एक और राज्य जो तुझ से कम है, और पीतल का एक और तीसरा राज्य उत्पन्न होगा, जो सारी पृय्वी पर राज्य करेगा।

40 और चौथा राज्य लोहे के समान दृढ़ होगा; क्योंकि जैसे लोहा चकनाचूर होकर सब वस्तुओं को वश में कर लेता है; और वह लोहे की नाईं इन सब को तोड़ डालेगा, और टुकड़े टुकड़े करके चूर-चूर हो जाएगा।

41 और जब तू ने पांव और पांव की अंगुलियों को देखा, तो कुम्हारों की मिट्टी, और लोहे का कुछ भाग, राज्य का बंटवारा हो जाएगा; परन्तु उस में लोहे का बल होगा, क्योंकि तू ने उस लोहे को मिट्टी में मिला हुआ देखा है।

42 और जैसे पांव के अंगुलियां लोहे की, और मिट्टी की बनी, वैसे ही राज्य भी कुछ दृढ़ और कुछ टूटा रहेगा।

43 और जब तू ने लोहे को मिट्टी में मिला हुआ देखा, तब वे मनुष्योंके वंश में मिल जाएंगे; तौभी वे एक दूसरे से न लगे रहें, जैसा लोहा मिट्टी में नहीं मिलाता।।

44 और इन राजाओं के दिनोंमें स्वर्ग का परमेश्वर एक ऐसा राज्य स्थापित करेगा, जो कभी नाश न होगा; और राज्य दूसरे लोगों के लिथे न छोड़ा जाएगा, वरन वह टुकड़े टुकड़े करके इन सब राज्योंको भस्म कर देगा, और वह सदा बना रहेगा।

45 क्‍योंकि जब तू ने देखा, कि पत्यर बिना हाथ के पहाड़ पर से तराशा गया, और वह लोहे, पीतल, मिट्टी, चान्दी, और सोने को चकनाचूर कर देता है; महान परमेश्वर ने राजा को प्रगट किया है कि आगे क्या होने वाला है; और स्वप्न निश्‍चित है, और उसकी व्याख्या पक्की है।

46 तब नबूकदनेस्सर राजा ने मुंह के बल गिरकर दानिय्येल को दण्डवत किया, और आज्ञा दी, कि उसके लिथे भेंट और सुगन्धि चढ़ाएं।

47 राजा ने दानिय्येल को उत्तर देकर कहा, सच तो यह है, कि तेरा परमेश्वर देवताओं का परमेश्वर, और राजाओं का यहोवा, और भेदोंको प्रगट करनेवाला है, जिस से तू इस भेद को प्रगट कर सकता है।

48 तब राजा ने दानिय्येल को एक महापुरुष बनाया, और उसे बहुत से बड़े वरदान दिए, और उसे बाबुल के सारे प्रान्त का अधिकारी, और बाबुल के सब पण्डितोंका प्रधान ठहराया।

49 तब दानिय्येल ने राजा से बिनती की, और उस ने शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को बाबुल के प्रान्त का काम सौंपा; परन्तु दानिय्येल राजा के फाटक पर बैठा रहा।


अध्याय 3

नबूकदनेस्सर ने एक सोने की मूर्ति को समर्पित किया - शद्रक, मेशक और अबेद-नगो पर आरोप लगाया गया है - भगवान उन्हें भट्ठी से बाहर निकालते हैं।

1 नबूकदनेस्सर राजा ने सोने की एक मूरत बनाई, जिसकी ऊंचाई साठ हाथ और चौड़ाई छ: हाथ थी; उसने उसे बाबुल के प्रान्त के दूरा के मैदान में खड़ा किया।

2 तब नबूकदनेस्सर राजा ने हाकिमों, हाकिमों, प्रधानों, न्यायियों, कोषाध्यक्षों, सलाहकारों, प्रधानों, और प्रान्तों के सब हाकिमों को इकट्ठा करने को भेजा, कि जो मूरत नबूकदनेस्सर राजा ने स्थापित किया था।

3 तब हाकिम, हाकिम, प्रधान, न्यायी, खजांची, सलाहकार, प्रधान, और प्रान्तोंके सब हाकिम उस मूरत के समर्पण के लिथे जो राजा नबूकदनेस्सर ने खड़ी कराई या, इकट्ठे हुए; और वे उस मूरत के साम्हने खड़े हुए, जिसे नबूकदनेस्सर ने खड़ा किया था।

4 तब एक दूत ने ऊंचे शब्द से पुकारा, हे लोगों, और जातियों, और भाषा बोलने वालों, तुझे यह आज्ञा दी गई है,

5 कि जिस समय तुम नरसिंगा, बाँसुरी, वीणा, चोखा, स्तोत्र, गूलर, और सब प्रकार के गान का शब्द सुनते हो, उस सोने की मूरत को जिसे राजा नबूकदनेस्सर ने खड़ी कराई है, दण्डवत् करना;

6 और जो कोई गिरकर दण्डवत् न करे, वह उसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाला जाए।

7 सो उस समय जब सब लोगोंने नरसिंगा, बाँसुरी, वीणा, टाट, वरन, और सब प्रकार के गान का शब्द सुना, तब सब लोग, और जातियां, और भाषा बोलनेवाले सब लोग गिरकर उस सोने की मूरत को दण्डवत करने लगे, जो नबूकदनेस्सर राजा ने स्थापित किया था।

8 इसलिथे उस समय कितने कसदी निकट आए, और यहूदियोंपर दोष लगाने लगे।

9 उन्होंने नबूकदनेस्सर राजा से कहा, हे राजा, सदा जीवित रह।

10 हे राजा, तू ने यह आज्ञा दी है, कि जो कोई नरसिंगा, बाँसुरी, वीणा, चोखा, स्तोत्र, और गूलर, और सब प्रकार के संगीत का शब्द सुनेगा, वह गिरकर उस सोने की मूरत को दण्डवत् करे;

11 और जो कोई गिरकर दण्डवत् न करे, वह धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाला जाए।

12 कुछ यहूदी हैं, जिन्हें तू ने बाबुल, शद्रक, मेशक, और अबेदनगो के प्रान्तोंके कामोंका अधिकारी ठहराया है; हे राजा, इन लोगों ने तेरी सुधि नहीं ली; वे न तो तेरे देवताओं की उपासना करते हैं, और न उस सोने की मूरत को जो तू ने खड़ी कराई है दण्डवत नहीं करते।

13 तब नबूकदनेस्सर ने अपने जलजलाहट और जलजलाहट में शद्रक, मेशक और अबेदनगो को लाने की आज्ञा दी। तब वे उन लोगोंको राजा के साम्हने ले आए।

14 नबूकदनेस्सर ने उन से कहा, क्या यह सच है, हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, क्या तुम मेरे देवताओं की उपासना नहीं करते, और न उस सोने की मूरत को जिसे मैं ने खड़ा किया है दण्डवत नहीं करता?

15 अब यदि तुम तैयार रहो, कि किस समय तुम नरसिंगे, बाँसुरी, वीणा, बोरीबत्त, स्तोत्र, और गुलकीमर, और सब प्रकार के संगीत का शब्द सुनते हो, तो गिरकर उस मूरत को दण्डवत करना जो मैं ने बनाई है; कुंआ; परन्तु यदि तुम दण्डवत् न करो, तो उसी घड़ी तुम धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिए जाओगे; और वह परमेश्वर कौन है जो तुझे मेरे हाथ से छुड़ाएगा?

16 तब शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा से कहा, हे नबूकदनेस्सर, हम इस विषय में तुझे उत्तर देने में चौकसी नहीं करते।

17 यदि ऐसा हो, तो हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं, हमें धधकते हुए भट्ठे से छुड़ा सकता है, और हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से छुड़ाएगा।

18 परन्तु यदि नहीं, तो हे राजा तुझे मालूम हो, कि हम तेरे देवताओं की उपासना नहीं करेंगे, और न उस सोने की मूरत को दण्डवत करेंगे, जिसे तू ने खड़ा किया है।

19 तब नबूकदनेस्सर जलजलाहट से भर उठा, और उसका रूप शद्रक, मेशक और अबेदनगो पर बदल गया; इसलिथे उस ने कहा, और आज्ञा दी, कि वे उस भट्टी को उस से सात गुणा अधिक गरम करें, जिस से वह गरम न किया जाए।

20 और उस ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बान्धकर उस धधकते हुए भट्ठे में डालने की आज्ञा दी, जो उसकी सेना में थे।

21 तब वे लोग अपके कुरते, टोपियां, और टोपियां, और अन्य वस्त्र बान्धकर, धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिए गए।

22 इसलिथे कि राजा की आज्ञा अत्यावश्यक थी, और भट्ठा भीषण था, आग की लपटोंने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को ले लेनेवालोंको मार डाला।

23 और ये तीन पुरूष शद्रक, मेशक और अबेदनगो धधकते हुए भट्ठे के बीच में बन्धे हुए गिरे।

24 तब नबूकदनेस्सर राजा चकित हुआ, और फुर्ती से उठा, और अपके युक्‍तियोंसे कहने लगा, क्या हम ने तीन पुरूषोंको बन्धे हुए आग के बीच में नहीं डाला? उन्हों ने उत्तर दिया, और राजा से कहा, हे राजा, सच है।

25 उस ने उत्तर देकर कहा, सुन, मैं ने चार जनोंको आग के बीच में खुले हुए चलते हुए देखा है, और उन्हें कुछ हानि नहीं हुई; और चौथे का रूप परमेश्वर के पुत्र के समान है।

26 तब नबूकदनेस्सर धधकते हुए भट्ठे के मुंह के पास जाकर कहने लगा, हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, हे परमप्रधान परमेश्वर के दासों, निकलकर यहां आ। तब शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग के बीच में से निकल आए।

27 और हाकिमों, हाकिमों, और प्रधानों, और राजा के सलाहकारों ने इकट्ठे होकर उन पुरूषों को देखा, जिनके शरीर पर न तो आग का बल था, और न उनके सिर के बाल गाए गए थे, और न उनके अंगरखे बदले गए थे, और न ही गंध थी। उन पर आग की लपटें निकल चुकी थीं।

28 तब नबूकदनेस्सर ने कहा, शद्रक, मेशक और अबेदनगो का परमेश्वर धन्य है, जिस ने अपके दूत को भेजकर अपके उन दासोंको, जो उस पर भरोसा रखते हैं, छुड़ाया, और राजा के वचन को बदल दिया, और अपके शरीरोंको दे दिया, कि वे अपने ही परमेश्वर को छोड़ किसी अन्य देवता की उपासना या उपासना नहीं कर सकते थे।

29 इसलिथे मैं यह आज्ञा देता हूं, कि जितने लोग, क्या जाति, और भाषा बोलनेवाले, शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर के विरुद्ध कुछ कहें, वे टुकड़े टुकड़े किए जाएं, और उनके घर गढ़े किए जाएं; क्योंकि कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है जो इस प्रकार के बाद उद्धार कर सके।

30 तब राजा ने बाबुल के प्रान्त में शद्रक, मेशक और अबेदनगो को पदोन्नत किया।


अध्याय 4

नबूकदनेस्सर का सपना — दानिय्येल इसकी व्याख्या करता है — घटना की कहानी।

1 नबूकदनेस्सर राजा, सारी प्रजा, और जाति, और भाषा जो सारी पृय्वी पर निवास करती है; शांति आप के लिए कई गुना हो।

2 मैं ने अच्छा समझा कि मैं उन गाते और चमत्कारोंको दिखाऊं जो ऊंचे परमेश्वर ने मुझ पर किए हैं।

3 उसके चिन्ह कितने बड़े हैं! और उसके चमत्कार कितने शक्तिशाली हैं! उसका राज्य सदा का राज्य है, और उसका राज्य पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहता है।

4 मैं नबूकदनेस्सर अपके घर में विश्राम करके अपके महल में फलता-फूलता या;

5 मैं ने एक स्वप्न देखा, जिस से मैं डर गया, और मेरे बिछौने के विचार और मेरे सिर के दर्शन मुझे व्याकुल कर रहे थे।

6 इसलिथे मैं ने बाबुल के सब पण्डितोंको अपके साम्हने बुलाने की आज्ञा दी, कि वे स्वप्न का अर्थ मुझे बताएं।

7 तब ज्योतिषी, ज्योतिषी, कसदी और भविष्य बताने वाले आए; और मैं ने उनके साम्हने स्वप्न का वर्णन किया; परन्तु उन्होंने उसका अर्थ मुझे नहीं बताया।

8 परन्तु अन्त में दानिय्येल मेरे साम्हने आया, जिसका नाम बेलतशस्सर था, मेरे परमेश्वर के नाम के अनुसार, और जिस में पवित्र देवताओं का आत्मा है; और उसके साम्हने मैं ने स्वप्न के विषय में कहा,

9 हे जादूगरों के स्वामी, हे बेलतशस्सर, क्योंकि मैं जानता हूं, कि पवित्र देवताओं का आत्मा तुझ में है, और कोई गुप्त विपत्ति तुझे नहीं देती, मेरे स्वप्न के जो दर्शन मैं ने देखे हैं, और उनका फल भी मुझे बता।

10 मेरे सिर के दर्शन मेरे बिछौने पर योंही थे; मैं ने देखा, और क्या देखा, कि पृय्वी के बीच में एक वृक्ष है, और उसकी ऊंचाई बहुत अधिक है।

11 वह वृक्ष बड़ा हुआ, और बलवन्त हुआ, और उसकी ऊंचाई आकाश तक, और उसकी दृष्टि सारी पृय्वी की छोर तक पहुंच गई;

12 उसके पत्ते सुन्दर थे, और उसके बहुत से फल थे, और उस में सभोंके लिथे मांस था; उसके नीचे मैदान के जन्तु छाया रहते थे, और आकाश के पक्षी उसकी डालियों में रहते थे, और सब प्राणी उस से चरते थे।

13 मैं ने अपके सिर के दर्शन में अपके बिछौने पर देखा, और देखो, एक पहरुआ और एक पवित्र जन स्वर्ग से उतर आया;

14 और उस ने ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा, वृझ को काट, और उसकी डालियां काट, उसके पत्ते झाड़, और उसके फल बिखेर दिए; पशु उसके नीचे से निकल जाएं, और पक्षी उसकी डालियों पर से निकल जाएं;

15 तौभी उसकी जड़ के ठूंठ को लोहे और पीतल के बन्धन समेत मैदान की कोमल घास में भूमि पर छोड़ दे; और वह आकाश की ओस से भीग जाए, और उसका भाग पृय्वी की घास के सब पशुओं के संग रहे;

16 उसका मन मनुष्य से बदला जाए, और पशु का मन उस पर लगाया जाए; और उसके ऊपर से सात बार बीतने दें।

17 यह बात पहरूओं की चितौन, और पवित्र जनोंके वचन के अनुसार की हुई है; इसलिथे कि जीवते जान लें, कि मनुष्योंके राज्य में परमप्रधान प्रभुता करता है, और जिसे चाहता है उसे देता है, और उस पर छोटे से छोटे मनुष्य को ठहराता है।

18 यह स्वप्न मैं राजा नबूकदनेस्सर ने देखा है। अब, हे बेलतशस्सर, तू उसका फल बता, क्योंकि मेरे राज्य के सब पण्डित मुझे उसका फल नहीं बता सकते; परन्तु तू समर्थ है; क्योंकि पवित्र देवताओं की आत्मा तुझ में है।

19 तब दानिय्येल, जिसका नाम बेलतशस्सर या, एक घण्टे तक चकित हुआ, और उसके विचार उसे व्याकुल करते रहे। तब राजा ने कहा, हे बेलतशस्सर, स्वप्न वा उसका फल तुझे कष्ट न दे। बेलतशस्सर ने उत्तर दिया, और कहा, हे मेरे प्रभु, जो तुझ से बैर रखते हैं, उनका स्वप्न, और तेरे शत्रुओं को उसका फल मिले।

20 जिस वृक्ष को तू ने देखा, जो बड़ा और दृढ़ था, और जिसकी ऊंचाई आकाश तक, और उसकी दृष्टि सारी पृय्वी पर थी;

21 जिसके पत्ते सुन्दर थे, और उस में बहुत फल थे, और उस में सभोंके लिथे मांस था; जिसके नीचे मैदान के पशु रहते थे, और जिनकी डालियों पर आकाश के पक्षी रहते थे;

22 हे राजा तू ही बड़ा हुआ और बलवन्त होता गया; क्योंकि तेरी महानता बढ़ी हुई है, और स्वर्ग तक, और तेरा राज्य पृथ्वी की छोर तक पहुंच गया है।

23 और जब राजा ने एक पहरुआ और एक पवित्र को स्वर्ग से उतरते देखा, और कहा, वृझ को काट, और उसे नाश कर; तौभी उसकी जड़ के ठूंठ को लोहे और पीतल के बन्धन के साथ मैदान की कोमल घास में भूमि पर छोड़ देना; और वह आकाश की ओस से भीग जाए, और उसका भाग मैदान के पशुओं के संग रहे, जब तक कि उसके ऊपर सात काल न बीत जाएं;

24 हे राजा, इसका अर्थ यह है, और परमप्रधान की जो आज्ञा मेरे प्रभु राजा पर आती है, वह यह है;

25 तब वे तुझे मनुष्यों के पास से दूर कर देंगे, और तेरा निवास मैदान के पशुओं के संग रहेगा, और वे तुझे बैलों की नाईं घास खिलाएंगे, और वे तुझे आकाश की ओस से गीला करेंगे, और सात काल तेरे ऊपर से बीतेंगे। , जब तक तू न जान ले कि मनुष्यों के राज्य में परमप्रधान राज्य करता है, और जिसे चाहता है उसे दे देता है।

26 और जब उन्होंने पेड़ की जड़ के ठूंठ को छोड़ देने की आज्ञा दी; तेरा राज्य तुझे निश्चय होगा, उसके बाद तू जान लेगा कि स्वर्ग राज्य करता है।

27 इस कारण, हे राजा, मेरी सम्मति तुझे ग्रहण करने दे, और अपके पापोंको धर्म से, और अपके अधर्म के कामोंको कंगालोंपर दया करके दूर कर; यदि वह तेरी शान्ति को बढ़ा दे।

28 यह सब बातें राजा नबूकदनेस्सर पर पड़ीं।

29 बारह महीने के बाद वह बाबुल के राज्य के महल में चला।

30 तब राजा ने कहा, क्या यह बड़ा बाबुल नहीं है, जिसे मैं ने राज्य के भवन के लिथे अपक्की सामर्य से, और अपक्की महिमा के आदर के लिथे बनाया है?

31 जब यह वचन राजा के मुंह में था, तब स्वर्ग से यह शब्द निकला, कि हे राजा नबूकदनेस्सर, तुझ से कहा गया है; राज्य तुझ से विदा हो गया है।

32 और वे तुझे मनुष्योंके पास से दूर भगाएंगे, और तेरा निवास सब पशुओं के संग रहेगा; वे तुझे बैलों की नाईं घास खिलाएंगे, और सात बार तेरे ऊपर से बीतेंगे, जब तक कि तू यह न जान ले कि मनुष्योंके राज्य में परमप्रधान प्रभुता करता है, और जिसे वह चाहता है उसे दे देता है।

33 उसी घड़ी वह बात नबूकदनेस्सर पर पूरी हुई; और वह मनुष्यों में से निकाला गया, और बैलोंकी नाई घास खाता, और उसका शरीर आकाश की ओस से भीगा रहता, और उसके बाल उकाबोंके परोंके बाल, और उसके नाखून पंछियोंके पंजोंके समान हो जाते थे।

34 और दिनों के अंत में मैं नबूकदनेस्सर ने अपनी आंखें स्वर्ग की ओर उठाई, और मेरी समझ मेरे पास लौट आई, और मैं ने परमप्रधान को आशीर्वाद दिया, और उसकी स्तुति और सम्मान किया, जो हमेशा के लिए जीवित है, जिसका प्रभुत्व हमेशा के लिए है, और उसकी राज्य पीढ़ी दर पीढ़ी है;

35 और पृय्वी के सब रहनेवाले निकम्मे ठहरे; और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के निवासियोंके बीच अपक्की इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसका हाथ न रोक सकेगा, और न उस से कह सकेगा, कि तू क्या करता है?

36 उसी समय मेरा विवेक मेरे पास लौट आया; और मेरे राज्य की महिमा के लिथे मेरा आदर और तेज मेरे पास लौट आया; और मेरे सलाहकारों और मेरे प्रभुओं ने मुझे ढूंढ़ा; और मैं अपके राज्य में स्थिर हुआ, और मेरे साथ उत्तम ऐश्वर्य मिला।

37 अब मैं नबूकदनेस्सर की स्तुति और स्तुति करता हूं, और स्वर्ग के राजा का सम्मान करता हूं, जिनके सभी काम सत्य हैं, और उनके मार्ग न्याय; और जो घमण्ड से चलते हैं, उन्हें वह नीचा कर सकता है।


अध्याय 5

बेलशस्सर की अपवित्र दावत - दीवार पर लिखावट - दानिय्येल लेखन की व्याख्या करता है।

1 राजा बेलशस्सर ने अपके हजार प्रधानोंके लिथे बड़ी जेवनार की, और उन हजार के साम्हने दाखमधु पिया।

2 बेलशस्सर ने दाखमधु का स्वाद चखते समय आज्ञा दी, कि जो सोने और चांदी के पात्र उसके पिता नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम के मन्दिर में से निकाले थे, उन्हें ले आना; ताकि राजा और उसके हाकिम, उसकी पत्नियां, और रखेलियां उस में पीएं।

3 तब वे सोने के पात्र जो यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के भवन में से निकाले गए थे, उन्हें ले आए; और राजा और उसके हाकिमों, उसकी पत्नियों और रखेलियों ने उन में से पिया।

4 उन्होंने दाखमधु पिया, और सोने, चान्दी, पीतल, लोहे, काठ और पत्थर के देवताओं की स्तुति की।

5 उसी घड़ी में एक मनुष्य के हाथ की उँगलियाँ निकलीं, और दीवट के साम्हने राजा के भवन की शहरपनाह के प्लास्टर पर लिख दिया; और राजा ने हाथ के उस भाग को देखा जिस पर लिखा था।

6 तब राजा का मुख बदल गया, और उसके विचार उसके मन में ऐसे व्याकुल हो उठे, कि उसकी कमर के जोड़ ढीले पड़ गए, और उसके घुटने आपस में टकरा गए।

7 राजा ने ज्योतिषियों, कसदियों और भविष्यद्वक्ताओं को बुलाने के लिथे ऊँचे स्वर से पुकारा। और राजा ने बाबुल के पण्डितों से कहा, जो कोई इस लेख को पढ़कर उसका अर्थ मुझे बताएगा, वह लाल रंग का पहिनाया जाएगा, और उसके गले में सोने की जंजीर होगी, और वह तीसरा शासक होगा। साम्राज्य।

8 तब राजा के सब पण्डित आए; परन्तु वे उस लेख को न पढ़ सके, और न उसका अर्थ राजा को बता सके।

9 तब राजा बेलशस्सर बहुत व्याकुल हुआ, और उसका मुख उसके कारण बदल गया, और उसके स्वामी चकित हुए।

10 रानी, राजा और उसके हाकिमों की बातों के कारण भोज के घर में आई; और रानी ने कहा, हे राजा, सदा जीवित रहे; तेरा विचार तुझे परेशान न करे, और तेरा मुख न बदले;

11 तेरे राज्य में एक मनुष्य है, जिस में पवित्र देवताओं का आत्मा है; और तेरे पिता के दिनोंमें उस में देवताओं की बुद्धि की नाई ज्योति, और समझ, और बुद्धि पाई गई; जिसे तेरे पिता राजा नबूकदनेस्सर ने, मैं तेरे पिता राजा ने कहा है, जादूगरों, ज्योतिषियों, कसदियों, और भविष्यद्वक्ताओं का स्वामी ठहराया;

12 क्‍योंकि उसी दानिय्येल में, जिसका नाम राजा ने बेलतशस्‍सर रखा, क्‍योंकि उत्‍कृष्‍ट आत्‍मा, और ज्ञान, और समझ, स्‍वप्‍न का अर्थ निकालने, और कठिन वचनोंको दिखाने, और शंकाओं को दूर करनेवाले पाए गए; अब दानिय्येल को बुलाया जाए, और वह उसका अर्थ बताएगा।

13 तब दानिय्येल को राजा के साम्हने लाया गया। तब राजा ने दानिय्येल से कहा, क्या तू दानिय्येल है, यहूदा की बंधुआई के बच्चोंमें से कौन सा है, जिसे मेरा पिता राजा यहूदियोंसे निकाल लाया?

14 मैं ने तेरे विषय में यह भी सुना है, कि देवताओं का आत्मा तुझ में है, और वह ज्योति, और समझ, और उत्तम बुद्धि तुझ में पाई जाती है।

15 और अब पण्डित अर्थात ज्योतिषी मेरे साम्हने लाए गए हैं, कि वे यह लेख पढ़ें, और इसका अर्थ मुझे बताएं; परन्तु वे उस बात का अर्थ न बता सके;

16 और मैं ने तेरे विषय में सुना है, कि तू अर्थ निकाल सकता है, और सन्देह दूर कर सकता है; अब यदि तू उस लेख को पढ़कर उसका अर्थ मुझे बता सके, तो लाल रंग का पहिरावा, और अपने गले में सोने की जंजीर बान्धना, और राज्य का तीसरा प्रधान ठहरेगा।

17 तब दानिय्येल ने उत्तर देकर राजा के साम्हने कहा, अपक्की भेंट अपक्की ही रहे, और अपना प्रतिफल दूसरे को दे; तौभी मैं राजा को लिखा हुआ पढ़कर सुनाऊंगा, और उसका अर्थ उसे बताऊंगा।

18 हे राजा, परमप्रधान परमेश्वर ने तेरे पिता नबूकदनेस्सर को एक राज्य, और ऐश्वर्य, और महिमा, और आदर दिया;

19 और जो प्रताप उस ने उसको दिया, उसके साम्हने सब लोग, और जातियां, और भाषा बोलनेवाले सब लोग उसके साम्हने कांपते और डरते थे; जिसे वह मार डालेगा; और जिसे वह जीवित रखता; और वह किसे खड़ा करेगा; और वह किसको नीचे रखेगा।

20 परन्तु जब उसका मन ऊंचा हो गया, और उसका मन घमण्ड से कठोर हो गया, तब वह उसके राज्य के सिंहासन से अपदस्थ कर दिया गया, और उन्होंने उसकी महिमा उस से छीन ली;

21 और वह मनुष्य के सन्तान में से निकाल दिया गया; और उसका मन पशुओं के समान हो गया, और उसका निवास गदहियोंके संग रहा; उन्होंने उसे बैलों की नाई घास खिलाया, और उसका शरीर आकाश की ओस से भीगा हुआ था; जब तक कि वह यह न जान ले कि मनुष्यों के राज्य में परमप्रधान परमेश्वर राज्य करता है, और जिस को वह चाहता है उस पर उसे नियुक्त करता है।

22 और उसके पुत्र, हे बेलशस्सर, तू ने अपके मन को नम्र नहीं किया, यद्यपि तू यह सब जानता या;

23 परन्तु स्वर्ग के यहोवा के साम्हने उठ खड़ा हुआ है; और वे उसके भवन के पात्र तेरे साम्हने ले आए हैं, और तू और तेरे स्वामी, और तेरी पत्नियां, और रखेलियां उन में दाखमधु पिया हैं; और तू ने चान्दी, सोना, पीतल, लोहा, काठ, और पत्यर के देवताओं की स्तुति की है, जो न देखते, न सुनते, और न जानते हैं; और वह परमेश्वर जिसके हाथ में तेरी सांस है, और जिसके सब मार्गोंमें तू ने महिमा नहीं दी;

24 तब उसके हाथ का जो भाग उसके पास से भेजा गया; और यह लेखन लिखा गया था।

25 और जो लिखा हुआ है वह यह है, मेने, मेने, टेकेल, ऊपरसिन।

26 इस बात का अर्थ यह है; मेने; परमेश्वर ने तेरे राज्य को गिनकर समाप्त कर दिया है।

27 टेकेल; तू ने तुला में तौला है, और कला को घटिया पाया गया है।

28 अपहर्सिन; तेरा राज्य विभाजित है, और मादी और फारसियों को दिया गया है।

29 तब बेलशस्सर को आज्ञा दी, और उन्होंने दानिय्येल को लाल रंग का वस्त्र पहिनाया, और उसके गले में सोने की जंजीर बान्धी, और उसके विषय में यह घोषणा की, कि वह राज्य का तीसरा प्रधान होगा।

30 उसी रात कसदियों का राजा बेलशस्सर मारा गया।

31 और मादी दारा ने राज्य को ले लिया, जो लगभग साठ और दो वर्ष का था।


अध्याय 6

दानिय्येल को राष्ट्रपतियों का प्रमुख बनाया गया है - एक मूर्तिपूजक आदेश - दानिय्येल, अभियुक्त, को सिंह की मांद में डाल दिया जाता है - दानिय्येल बच जाता है - उसके विरोधियों ने खा लिया।

1 दारा को यह अच्छा लगा, कि वह राज्य पर एक सौ बीस हाकिम ठहराए, जो सारे राज्य के ऊपर अधिकारी हों;

2 और इन तीन अध्यक्षों के ऊपर; जिन में से दानिय्येल पहिला था, कि हाकिम उन्हें लेखा दें, और राजा को कुछ हानि न हो।

3 तब यह दानिय्येल प्रधानों और हाकिमों से अधिक प्रधान हुआ, क्योंकि उस में उत्तम आत्मा थी; और राजा ने सोचा, कि उसे सारे राज्य पर अधिकार कर दिया जाए।

4 तब प्रधानों और हाकिमों ने राज्य के विषय में दानिय्येल के विरुद्ध अवसर ढूंढ़ना चाहा; परन्तु उन्हें न कोई अवसर मिला और न कोई दोष; क्‍योंकि वह विश्‍वासयोग्य था, और न उसमें कोई भूल या दोष पाया गया।

5 तब उन लोगोंने कहा, हम इस दानिय्येल के विरुद्ध कोई अवसर न पाएंगे, जब तक कि हम उसके विरुद्ध उसके परमेश्वर की व्यवस्था के विषय में न पाएं।

6 तब वे प्रधान और हाकिम राजा के पास इकट्ठे हुए, और उस से योंकहा, हे राजा दारा, सदा जीवित रहे।

7 राज्य के सब अध्यक्षों, हाकिमों, हाकिमों, सलाहकारों, और प्रधानों ने एक साथ विचार-विमर्श किया है, कि एक राजकीय विधि स्थापित करे, और यह दृढ़ निश्चय करे, कि जो कोई किसी परमेश्वर वा मनुष्य से बिनती करे हे राजा, तेरे सिवा तीस दिन तक वह सिंहों की मांद में डाला जाएगा।

8 अब, हे राजा, आज्ञा को स्थिर कर, और उस लेख पर हस्ताक्षर कर दे, कि वह मादियों और फारसियों की व्यवस्था के अनुसार न बदला जाए, जो नहीं बदलता।

9 इस कारण राजा दारा ने लेख और आज्ञा पर हस्ताक्षर किए।

10 जब दानिय्येल ने जान लिया कि उस पर हस्ताक्षर किए गए हैं, तब वह अपके घर गया; और अपनी कोठरी में यरूशलेम की ओर खुली हुई खिड़कियाँ, और पहिले की नाईं दिन में तीन बार घुटने टेककर प्रार्थना की, और अपके परमेश्वर के साम्हने धन्यवाद किया।

11 तब वे लोग इकट्ठे हुए, और दानिय्येल को अपके परमेश्वर के साम्हने बिनती करते और बिनती करते पाया।

12 तब वे निकट आकर राजा के सम्मुख राजा की आज्ञा के विषय में कहने लगे; क्या तू ने ऐसी आज्ञा पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, कि हे राजा, तेरे सिवा जो कोई तीस दिन के भीतर किसी परमेश्वर वा मनुष्य से बिनती करे, वह सिंहोंकी मांद में डाला जाए? राजा ने उत्तर दिया और कहा, मादियों और फारसियों की व्यवस्था के अनुसार यह बात सच है, जो नहीं बदलती।

13 तब उन्हों ने उत्तर देकर राजा के साम्हने कहा, हे राजा, दानिय्येल, जो यहूदा की बंधुआई में से है, न तो तेरा ध्यान करता है, और न उस आज्ञा को, जिस पर तू ने हस्ताक्षर किए हैं, परन्तु दिन में तीन बार अपनी बिनती करता है।

14 जब राजा ने ये बातें सुनीं, तब अपके मन में बहुत अप्रसन्न हुआ, और उसे छुड़ाने के लिथे दानिय्येल पर मन लगाया; और वह उसे छुड़ाने के लिथे सूर्य ढलने तक परिश्रम करता रहा।

15 तब वे लोग राजा के पास इकट्ठे हुए, और राजा से कहने लगे, हे राजा, जान ले कि मादी और फारसियोंकी व्यवस्या यह है, कि जिस विधि और विधान को राजा ठहराता है, वह बदला न जाए।

16 तब राजा ने आज्ञा दी, और उन्होंने दानिय्येल को ले जाकर सिंहोंकी मांद में डाल दिया। तब राजा ने दानिय्येल से कहा, तेरा परमेश्वर जिस की तू नित्य उपासना करता है, वही तुझे छुड़ाएगा।

17 और एक पत्थर लाकर उस गड़हे के मुंह पर रखा गया; और राजा ने उस पर अपक्की अपक्की और अपके स्‍वामी की भी मोहर लगा दी; कि दानिय्येल के विषय में प्रयोजन न बदला जाए।

18 तब राजा अपके भवन में गया, और रात भर उपवास किया; न तो उसके साम्हने वाद्य यंत्र लाए गए; और उसकी नींद उसके पास से चली गई।

19 बिहान को राजा बहुत सवेरे उठा, और फुर्ती से सिंहों की मांद को गया।

20 और जब वह गड़हे में पहुंचा, तब उस ने दानिय्येल की दोहाई दी, और राजा ने दानिय्येल से कहा, हे दानिय्येल, जीवित परमेश्वर के दास, तेरा परमेश्वर है, जिसकी तू नित्य उपासना करता है, और तुझे उस से छुड़ा सकता है। शेर?

21 तब दानिय्येल ने राजा से कहा, हे राजा, सदा जीवित रह।

22 मेरे परमेश्वर ने अपके दूत को भेजकर सिंहोंके मुंह ऐसे बन्द कर रखे हैं, कि उन्होंने मेरी हानि न की; क्‍योंकि उस से पहिले मुझ में निर्दोषता पाई गई; और हे राजा, तेरे साम्हने क्या मैं ने कुछ हानि न की।

23 तब राजा उसके लिये बहुत प्रसन्न हुआ, और आज्ञा दी, कि दानिय्येल को उस गड़हे में से उठा ले जाएं। इसलिथे दानिय्येल गड़हे में से उठा लिया गया, और उस पर किसी प्रकार की कोई हानि न पाई गई, क्योंकि उस ने अपके परमेश्वर पर विश्वास किया था।

24 तब राजा ने आज्ञा दी, और जिन पुरूषोंने दानिय्येल पर दोष लगाया या, उन को वे ले आए, और अपके बालकोंऔर पत्नियों समेत सिंहोंकी मांद में डाल दिए; और सिंहों ने उन पर अधिकार कर लिया, और उनकी सब हड्डियों को टुकड़े-टुकड़े कर दिया, वा कभी वे गड़हे की तलहटी में आ गए।

25 तब राजा दारा ने सारी पृथ्वी पर रहने वाले सब लोगों, और जातियों, और भाषाओं के लिथे लिखा; शांति आप के लिए कई गुना हो।

26 मैं यह आज्ञा देता हूं, कि मेरे राज्य के सब अधिकार में लोग दानिय्येल के परमेश्वर के साम्हने कांपते और डरते रहें; क्योंकि वह जीवित परमेश्वर है, और सदा अटल है, और उसका राज्य जो नाश न होगा, और उसका राज्य अन्त तक बना रहेगा।

27 वही बचाता और बचाता है, और आकाश और पृय्वी पर चिन्ह और अद्भुत काम करता है, जिस ने दानिय्येल को सिंहोंके वश से छुड़ाया है।

28 इस प्रकार दानिय्येल दारा के राज्य में, और कुस्रू फारसी के राज्य में सफल हुआ।


अध्याय 7

चार जानवरों के बारे में दानिय्येल का दर्शन — परमेश्वर के राज्य का — उसकी व्याख्या।

1 बाबुल के राजा बेलशस्सर के पहिले वर्ष में दानिय्येल ने स्वप्न देखा, और अपके सिरहाने अपके बिछौने पर दर्शन दिए; तब उस ने स्वप्न लिखा, और सब बातों का सार बता दिया।

2 दानिय्येल ने कहा, मैं ने रात को अपके दर्शन में देखा, और क्या देखा, कि आकाश की चारोंआन्धियां बड़े समुद्र पर चलती हैं।

3 और समुद्र में से चार बड़े बड़े जन्तु उठे, जो एक दूसरे से भिन्न थे।

4 पहिला तो सिंह के समान था, और उसके पंख उकाब के थे; मैं ने तब तक देखा, जब तक उसके पंख तोड़ दिए गए, और वह पृय्वी पर से उठकर, मनुष्य की नाईं पांवोंके बल खड़ा न हो गया, और मनुष्य का मन उसे दे दिया गया।

5 और देखो, एक और पशु जो भालू के समान दूसरा है, और वह एक ओर उठ खड़ा हुआ है, और उसके मुंह में उसके दांतों के बीच में तीन पसलियां हैं; और उन्होंने उस से योंकहा, उठ, बहुत मांस खा।

6 इसके बाद मैं ने क्या देखा, और चीते के समान एक और देखा, जिसकी पीठ पर पक्षी के चार पंख थे; उस पशु के भी चार सिर थे; और उस पर आधिपत्य स्थापित कर दिया गया।

7 इसके बाद मैं ने रात के दर्शन में क्या देखा, कि एक चौथा जन्तु भयानक और भयानक, और अति बलवन्त है; और उसके बड़े लोहे के दांत थे; वह भस्म हो गया, और टुकड़े-टुकड़े हो गया, और बचे हुओं को अपने पांवों से पाट दिया; और वह उन सब पशुओं से जो उस से पहिले थे, भिन्न था; और उसके दस सींग थे।

8 मैं ने उन सींगों पर विचार किया, और क्या देखा, कि उनके बीच एक और छोटा सींग निकला, जिसके आगे पहिले तीन सींग जड़ से उखाड़े गए थे; और देखो, इस सींग में मनुष्य की सी आंखें, और एक मुंह बड़ी बड़ी बातें कहता है।

9 मैं ने तब तक देखा, जब तक सिंहासन गिरा दिए गए, और अति प्राचीन बैठा रहा, जिसका वस्त्र हिम के समान उजला, और उसके सिर के बाल चोखे ऊन के समान थे; उसका सिंहासन ज्वाला के तुल्य और उसके पहिए जलती हुई आग के समान थे।

10 और उसके आगे से एक धधकती हुई धारा निकली; हजार हजार उसकी सेवा टहल करते थे, और दस हजार बार दस हजार उसके साम्हने खड़े होते थे; फैसला सुनाया गया, और किताबें खोली गईं।

11 उस समय मैं ने उन बड़े वचनोंके शब्द से जो उस सींग ने कहा था, देखा; मैं ने तब तक देखा जब तक वह पशु घात नहीं किया गया, और उसका शरीर नष्ट हो गया, और जलती हुई लौ को दे दिया गया।

12 और सब पशुओं के विषय में उनका राज्य छीन लिया गया; फिर भी उनका जीवन एक मौसम और समय के लिए लम्बा था।

13 मैं ने रात के दर्शन में देखा, और क्या देखा, कि मनुष्य के पुत्र के समान कोई आकाश के बादलोंके साथ आया, और अति प्राचीन के पास आया, और वे उसे उसके साम्हने समीप ले आए।

14 और उसे प्रभुता, और महिमा, और राज्य दिया गया, कि सब लोग, और जातियां, और भाषाएं, उसकी उपासना करें; उसका राज्य सदा का राज्य है, जो कभी न टलेगा, और उसका राज्य जो नाश न होगा।

15 मैं दानिय्येल अपक्की देह के बीच में अपके मन में उदास हुआ, और अपके सिर के दर्शन ने मुझे व्याकुल किया।

16 जो पास खड़े थे, उन में से एक के पास मैं गया, और उस से इन सब बातोंका सच पूछा। तब उस ने मुझ से कहा, और बातोंका अर्थ मुझे बताया।

17 ये बड़े जन्तु, जो चार हैं, चार राजा हैं, जो पृय्वी पर से उठ खड़े होंगे।

18 परन्तु परमप्रधान के पवित्र लोग राज्य को ले लेंगे, और राज्य के अधिकारी सदा सर्वदा और युगानुयुग रहेंगे।

19 तब मैं उस चौथे जन्तु की सच्चाई जान लेता, जो और सब से भिन्न, और अति भयानक, और उसके दांत लोहे के, और उसके नाखून पीतल के थे; जो खा गए, और टुकड़े-टुकड़े कर दिए, और बचे हुओं को अपने पांवों से ठिकाने लगा दिया;

20 और उसके सिर के दस सींगोंमें से, और दूसरे में से जो निकल आए, और उनके साम्हने तीन गिरे; यहाँ तक कि उस सींग का भी, जिसके आंखें थीं, और मुंह जो बहुत बड़ी बातें कहता था, और उसकी दृष्टि अपके साथियों से भी अधिक कठोर थी।

21 मैं ने क्या देखा, और वही सींग पवित्र लोगोंसे लड़ने लगा, और उन पर प्रबल हो गया;

22 जब तक अति प्राचीन न आया, और परमप्रधान के पवित्र लोगों का न्याय न किया जाए; और वह समय आ गया कि पवित्र लोग राज्य के अधिकारी हो गए।

23 उस ने कहा, चौथा जन्तु पृय्वी पर चौथा राज्य होगा, जो सब राज्योंसे भिन्न होगा, और सारी पृय्वी को भस्म करेगा, और रौंदेगा, और टुकड़े-टुकड़े करेगा।

24 और इस राज्य में से जो दस सींग उत्पन्न होंगे, वे दस राजा होंगे; और उनके पीछे कोई दूसरा उठेगा; और वह पहिले से भिन्न होगा, और वह तीन राजाओं को अपने वश में करेगा।

25 और वह परमप्रधान के विरुद्ध बड़े बड़े वचन कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगोंको नाश करेगा, और समय और व्यवस्था को बदलने का विचार करेगा; और वे समय और समय और समय के बंटवारे तक उसके हाथ में दिए जाएंगे।

26 परन्तु न्याय बैठ जाएगा, और वे उसके राज्य को छीन लेंगे, और उसे अन्त तक नाश करने के लिथे ले लेंगे।

27 और राज्य और प्रभुत्व, और राज्य की महानता सारे स्वर्ग के नीचे, परमप्रधान के पवित्र लोगों के लोगों को दी जाएगी, जिसका राज्य एक अनन्त राज्य है, और सभी प्रभुत्व उसकी सेवा करेंगे और उसकी आज्ञा का पालन करेंगे।

28 अब तक इस मामले का अंत है। और मैं दानिय्येल, मेरे चितावनी ने मुझे बहुत व्याकुल किया, और मेरा मुख मुझ में बदल गया; लेकिन मैंने बात को अपने दिल में रखा।


अध्याय 8

दानिय्येल का मेढ़ा और वह बकरी का दर्शन - दो हजार तीन सौ दिन - जिब्राईल दानिय्येल को दिलासा देता है, और दृष्टि की व्याख्या करता है।

1 राजा बेलशस्सर के राज्य के तीसरे वर्ष में, जो पहिले पहिले मुझे दिखाई दिया, उसके बाद दानिय्येल को एक दर्शन मुझे दिखाई दिया।

2 और मैं ने दर्शन में देखा; और ऐसा हुआ कि जब मैं ने देखा, कि मैं शूशन में उस महल में हूं, जो एलाम के प्रान्त में है; और मैं ने दर्शन में देखा, और मैं उलै नदी के किनारे था।

3 तब मैं ने आंखें उठाकर क्या देखा, कि एक मेढ़ा नदी के साम्हने खड़ा है, जिसके दो सींग हैं; और दोनों सींग ऊंचे थे; परन्तु एक दूसरे से ऊँचा था, और जो ऊँचा था वह सबसे पीछे था।

4 मैं ने मेढ़े को पच्छिम, उत्तर और दक्खिन की ओर बढ़ते हुए देखा; ताकि कोई पशु उसके साम्हने न ठहरे, और न कोई उसके हाथ से छुड़ा सके; परन्तु उसने अपनी इच्छा के अनुसार किया, और महान बन गया।

5 और मैं सोच ही रहा था, कि एक बकरा पच्छिम से सारी पृय्वी पर आ गया, और भूमि को न छूआ; और बकरी की आंखों के बीच में एक उल्लेखनीय सींग था।

6 और वह उस मेढ़े के पास आया जिसके दो सींग थे, जिन्हें मैं ने महानद के साम्हने खड़ा देखा था, और अपके वश की जलजलाहट में उसके पास दौड़ा।

7 और मैं ने उसे मेढ़े के पास आते देखा, और वह उसके विरुद्ध कायरता से भर गया, और उस मेढ़े को ऐसा मारा, और उसके दोनों सींग तोड़ दिए; और मेढ़े में उसके साम्हने खड़े रहने का सामर्थ न रहा, तौभी उस ने उसको भूमि पर पटक कर उस पर मुहर लगा दी; और कोई न था जो मेढ़े को उसके हाथ से छुड़ा सके।

8 इस कारण वह बकरा बहुत बड़ा हो गया; और जब वह बलवन्त हुआ, तब उसका बड़ा सींग टूट गया; और वह चार उल्लेखनीय लोगों पर चढ़ी, जो आकाश की चारों दिशाओं की ओर थीं।

9 और उनमें से एक में से एक छोटा सा सींग निकला, जो दक्खिन और पूर्व की ओर, और मनभावने देश की ओर, बहुत बड़ा हो गया था।

10 और वह आकाश के गण के लिथे बड़ा हो गया; और उस ने सेना और तारों में से कुछ को भूमि पर गिरा दिया, और उन पर मुहर लगा दी।

11 वरन उस ने सेना के प्रधान के लिथे अपनी बड़ाई की, और उसके द्वारा प्रतिदिन का बलिदान ले लिया गया, और उसके पवित्रस्थान का स्थान गिरा दिया गया।

12 और प्रति दिन के बलि के साम्हने अपराध के कारण उसे एक सेना दी गई, और उस ने सच्चाई को भूमि पर गिरा दिया; और यह अभ्यास किया, और समृद्ध हुआ।

13 तब मैं ने एक संत को बोलते हुए सुना, और दूसरे संत ने उस उस संत से कहा, जो यह कहता था, कि प्रतिदिन के बलिदान और उजाड़ने के अपराध के विषय में दर्शन कब तक रहेगा, कि पवित्रस्थान और सेना दोनों पांवोंके नीचे रौंदे जाएं?

14 उस ने मुझ से कहा, दो हजार तीन सौ दिन तक; तब पवित्रस्थान शुद्ध किया जाएगा।

15 और ऐसा हुआ कि जब मैं ने, मैं दानिय्येल ने, उस दर्शन को देखा, और उसका अर्थ ढूंढ़ा, तब क्या देखा, कि मैं मनुष्य का सा सा दिखाई दे रहा हूं।

16 और मैं ने उलै के तट के बीच एक मनुष्य का शब्द सुना, जिस ने पुकारकर कहा, हे जिब्राईल, इस मनुष्य को दर्शन की बात समझा।

17 सो वह जहां मैं खड़ा था, उसके निकट आया; और जब वह आया, तो मैं डर गया, और मुंह के बल गिर पड़ा; परन्तु उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, समझ; क्योंकि अन्त के समय दर्शन होगा।

18 जब वह मुझ से बातें कर रहा या, तब मैं भूमि की ओर मुंह के बल गहरी नींद में सो रहा था; परन्तु उस ने मुझे छूकर सीधा खड़ा किया।

19 उस ने कहा, सुन, मैं तुझे बताऊंगा कि क्रोध के अन्त में क्या होगा; क्योंकि नियत समय पर अन्त होगा।

20 जिस मेढ़े को तू ने देखा, उसके दो सींग हैं, वे मादी और फारस के राजा हैं।

21 और मोटा बकरा यूनान का राजा है; और जो बड़ा सींग उसकी आंखों के बीच में है, वह पहिला राजा है।

22 अब जब कि टूटकर चार राज्य उसके लिथे खड़े हुए, तो उस जाति में से चार राज्य उठ खड़े होंगे, परन्तु उसके वश में नहीं।

23 और उनके राज्य के अन्तिम समय में, जब अपराधी पूर्ण रूप से आ जाएंगे, तब एक भयंकर मुख का राजा, और अन्धकारमय वाक्यों को समझने वाला, खड़ा होगा।

24 और उसकी शक्ति पराक्रमी होगी, परन्तु उसकी शक्ति से नहीं; और वह अद्‌भुत रूप से नाश करेगा, और समृद्ध होगा, और अभ्यास करेगा, और पराक्रमी और पवित्र लोगों को नष्ट करेगा।

25 और वह अपक्की नीति के द्वारा अपके हाथ में युक्‍ति को भी सुफल करेगा; और वह अपके मन में बड़ा करे, और कुशल से बहुतोंको नाश करे; वह हाकिमों के हाकिम के साम्हने भी खड़ा होगा; परन्तु वह बिना हाथ के तोड़ा जाएगा।

26 और सांझ और भोर का जो दर्शन हुआ, वह सच है; इस कारण तू ने दर्शन को बन्द कर दिया; क्योंकि वह बहुत दिनों तक रहेगा।

27 और मैं दानिय्येल मूर्छित हुआ, और बहुत दिनोंसे रोगी था; तब मैं उठा, और राजा का काम करने लगा; और मैं उस दर्शन से चकित हुआ, परन्तु कोई न समझा।


अध्याय 9

दानिय्येल यरूशलेम की पुनर्स्थापना के लिए प्रार्थना करता है — सत्तर सप्ताह।

1 मादियों के वंश में से क्षयर्ष के पुत्र दारा के राज्य के पहिले वर्ष में, जो कसदियोंके राज्य पर राजा ठहराया गया;

2 उसके राज्य के पहिले वर्ष में मैं दानिय्येल ने उन वर्षों की गिनती पुस्तकों से समझ ली, जिन में से यहोवा का यह वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास पहुंचा, कि वह यरूशलेम के उजाड़ में सत्तर वर्ष पूरा करेगा।

3 और मैं ने उपवास, और टाट, और राख समेत प्रार्थना और बिनती करके ढूंढ़ने के लिथे यहोवा परमेश्वर की ओर मुंह किया;

4 और मैं ने अपके परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की, और अपना अंगीकार किया, और कहा, हे महान और भयानक परमेश्वर यहोवा, जो उस से प्रेम रखते हैं, और जो उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, उन पर वाचा और करूणा रखते हुए;

5 हम ने पाप किया है, और अधर्म किया है, और दुष्टता से किया है, और बलवा किया है, यहां तक कि तेरे उपदेशों और तेरे नियमों से हटकर;

6 और न हम ने तेरे दास भविष्यद्वक्ताओं की सुनी, जो हमारे राजाओं, हाकिमों, और पुरखाओं, और देश के सब लोगोंसे तेरे नाम से बातें करते थे।

7 हे यहोवा, धर्म तो तेरा ही है, परन्तु हमारे लिथे ऐसा भ्रम है, जैसा आज के दिन है; यहूदा के लोगों, और यरूशलेम के निवासियों, और सभी इस्राएलियों के लिए, जो निकट और दूर हैं, उन सभी देशों के माध्यम से जहां उन्होंने उन्हें अपने अपराध के कारण प्रेरित किया है।

8 हे यहोवा, अपके राजाओं, और अपके हाकिमों, और अपके पुरखाओं के साम्हने हम पर भ्रम की स्थिति है, क्योंकि हम ने तेरे विरुद्ध पाप किया है।

9 तौभी हम ने उस से बलवा किया है, तौभी हमारे परमेश्वर यहोवा पर दया और क्षमा है;

10 और न हम ने अपके परमेश्वर यहोवा की उस की विधियोंपर चलने के लिथे आज्ञा मानी है, जो उस ने अपके दास भविष्यद्वक्ताओंके द्वारा हमारे साम्हने रखी हैं।

11 वरन सब इस्त्राएलियोंने चलते हुए भी तेरी व्यवस्था का उल्लंघन किया है, कि वे तेरी बात न मानें; इस कारण हम पर शाप डाला गया है, और वह शपय जो परमेश्वर के दास मूसा की व्यवस्था में लिखी है, क्योंकि हम ने उसके विरुद्ध पाप किया है।

12 और अपक्की जो बातें उस ने हम से और हमारे न्यायियोंके विषय में कही थीं, जो उस ने हम पर बड़ी विपत्ति डालकर हम पर पक्की की हैं; क्‍योंकि सारे स्‍वर्ग के नीचे ऐसा नहीं किया गया जैसा यरूशलेम पर किया गया।

13 जैसा मूसा की व्यवस्था में लिखा है, यह सब विपत्ति हम पर आ पड़ी है; तौभी हम ने अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने प्रार्यना न की, कि हम अपके अधर्म के कामोंसे फिरें, और तेरी सच्चाई को समझें।

14 इसलिथे यहोवा ने उस विपत्ति पर दृष्टि करके हम पर चढ़ाई की है; क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा अपके सब कामोंमें जो वह करता है धर्मी है; क्योंकि हम ने उसकी बात नहीं मानी।

15 और अब, हे हमारे परमेश्वर यहोवा, जो अपक्की प्रजा को मिस्र देश से बलवन्त हाथ से निकाल ले आया है, और आज के दिन की नाईं तेरी ख्याति पाई है; हम ने पाप किया है, हम ने दुष्टता की है।

16 हे यहोवा, तेरी सारी धार्मिकता के अनुसार मैं तुझ से बिनती करता हूं, कि तेरा कोप और तेरा जलजलाहट अपके पवित्र पर्वत यरूशलेम नगर पर से दूर हो जाए; क्‍योंकि हमारे पापों और हमारे पुरखाओं के अधर्म के कामों के कारण यरूशलेम और तेरी प्रजा हमारे सब लोगों के लिथे निन्दा ठहरी है।

17 इसलिथे अब हे हमारे परमेश्वर, अपके दास की प्रार्यना, और बिनती सुन, और यहोवा के निमित्त अपके पवित्रास्थान पर अपके मुख का प्रकाश चमका दे।

18 हे मेरे परमेश्वर कान लगाकर सुन; अपनी आंखें खोल, और हमारी उजाड़ और उस नगर को जो तेरा कहलाता है, देख; क्‍योंकि हम अपके धर्म के लिथे नहीं, बरन तेरी बड़ी करूणा के लिथे अपके साम्हने गिड़गिड़ाते रहते हैं।

19 हे यहोवा, सुन; हे यहोवा, क्षमा कर; हे यहोवा, सुन और कर; हे मेरे परमेश्वर, अपने ही निमित्त मत टालना; क्योंकि तेरा नगर और तेरी प्रजा तेरे नाम से कहलाती है।

20 और जब मैं बातें कर रहा या, और अपक्की प्रजा इस्राएल के पाप और अपके पाप को मान लेता, और अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने अपके परमेश्वर के पवित्र पर्वत के लिथे अपक्की बिनती करता या;

21 वरन जब मैं प्रार्थना में बातें कर ही रहा था, कि जिब्राईल मनुष्य, जिसे मैं ने पहिले दर्शन में देखा या, शीघ्रता से उड़कर सांझ की भेंट के समय मुझे छू लिया।

22 और उस ने मुझे बताकर मुझ से बातें कीं, और कहा, हे दानिय्येल, मैं अब तुझे युक्ति और समझ देने आया हूं।

23 तेरी बिनती के पहिले ही यह आज्ञा निकली, और मैं तुझे दिखाने आया हूं; क्योंकि तू अति प्रिय है; इसलिए मामले को समझें, और दृष्टि पर विचार करें।

24 तेरी प्रजा और तेरे पवित्र नगर के लिये सत्तर सप्ताह ठहराए गए हैं, कि अपराध का अन्त, और पापोंका अन्त, और अधर्म का मेल हो, और चिरकाल की धार्मिकता हो, और दर्शन और भविष्यद्वाणी पर मुहर लगे। और परमपवित्र का अभिषेक करना।

25 सो जान और समझ ले, कि यरूशलेम को फेरने और बनाने की आज्ञा के निकलने से लेकर मसीहा राजकुमार तक सात सप्ताह और साठ दो सप्ताह होंगे; गली फिर बनाई जाएगी, और शहरपनाह, विपत्ति के दिनोंमें भी।

26 और साठ दो सप्ताह के पश्चात् मसीह नाश किया जाएगा, परन्तु अपने लिये नहीं; और जो हाकिम आयेंगे वे नगर और पवित्रस्थान को नाश करेंगे; और उसका अन्त जल-प्रलय के साथ होगा, और युद्ध के अन्त तक विनाश का निश्चय किया जाएगा।

27 और वह बहुतोंसे वाचा को एक सप्ताह तक दृढ़ करे; और सप्ताह के बीच में वह मेलबलि और हवन को बन्द कर दे, और घिनौनी वस्तुओं के बढ़ने के लिथे उसे पूरा होने तक उजाड़ कर दे, और जो ठान लिया है वह उजाड़ पर उंडेला जाए।


अध्याय 10

दानिय्येल ने एक दर्शन देखा - उसे स्वर्गदूत ने दिलासा दिया।

1 फारस के राजा कुस्रू के राज्य के तीसरे वर्ष में दानिय्येल पर, जिसका नाम बेलतशस्सर या, एक बात प्रगट हुई; और बात तो सच थी, परन्‍तु ठहराया हुआ समय बहुत बड़ा था; और वह बात समझ गया, और उसे दर्शन की समझ थी।

2 उन दिनों मैं दानिय्येल पूरे तीन सप्ताह तक विलाप करता रहा।

3 जब तक पूरे तीन सप्ताह पूरे न हुए, तब तक मैं ने मनभावनी रोटी न खाई, न मांस और न दाखमधु मेरे मुंह से निकला, और न मैं ने अपना कोई अभिषेक किया।

4 और पहिले महीने के चौबीसवें दिन को मैं उस बड़ी नदी के किनारे जो हिद्देकेल है, या;

5 तब मैं ने आंखें उठाकर क्या देखा, कि एक मनुष्य सन का पहिरावा पहिने हुए है, जिस की कमर ऊफाज के अच्छे सोने से बंधी हुई है;

6 उसका शरीर भी बेरील के समान, और उसका चेहरा बिजली के समान, और उसकी आंखें आग के दीये के समान, और उसके हाथ और उसके पांव चमचमाते पीतल के समान, और उसके वचनों का शब्द भीड़ के शब्द के समान था। .

7 और मैं ही दानिय्येल ने यह दर्शन देखा; क्‍योंकि जो पुरूष मेरे संग थे, उन्‍होंने उस दर्शन को न देखा; परन्तु उन पर ऐसा बड़ा भूकंप आया, कि वे छिपने को भाग गए।

8 इसलिथे मैं अकेला रह गया, और यह बड़ा दर्शन देखा, और मुझ में कुछ भी बल न रहा; क्योंकि मेरा सुहावनापन मुझ में बिगड़ गया, और मुझ में कोई बल नहीं रहा।

9 तौभी मैं ने उसकी बातें सुनीं; और जब मैं ने उसकी बातें सुनीं, तब क्या मैं मुंह के बल और भूमि की ओर मुंह करके गहरी नींद में था।

10 और देखो, एक हाथ ने मुझे छुआ, जिस ने मुझे मेरे घुटनोंके बल और मेरी हथेलियों पर रखा।।

11 और मुझ से कहा, हे दानिय्येल, हे अति प्रिय पुरूष, जो बातें मैं तुझ से कहता हूं, उन्हें समझ, और सीधा खड़ा हो; क्योंकि मैं अब तेरे पास भेजा गया हूं। और जब उस ने मुझ से यह बात कही, तो मैं थरथराता हुआ खड़ा हो गया।

12 तब उस ने मुझ से कहा, हे दानिय्येल, मत डर; क्‍योंकि जिस पहिले दिन से तू ने समझ लिया, और अपके परमेश्वर के साम्हने अपने आप को ताड़ना दी है, उस दिन से तेरी बातें सुनी गईं, और मैं तेरे वचनोंके लिथे आया हूं।

13 परन्तु फारस के राज्य का प्रधान एक बीस दिन तक मेरा साम्हना करता रहा; परन्तु, देखो, मीकाएल जो प्रधान हाकिमोंमें से एक है, मेरी सहायता करने को आया; और मैं वहां फारस के राजाओं के संग रहा।

14 अब मैं तुझे समझाने आया हूं, कि अन्त के दिनों में तेरी प्रजा पर क्या क्या क्या पड़ेगा; क्योंकि दर्शन तो बहुत दिनों का है।

15 और जब उस ने मुझ से ऐसी बातें कहीं, तब मैं ने भूमि की ओर मुंह किया, और मैं गूंगा हो गया।

16 और देखो, मनुष्य के सन्तान के समान एक ने मेरे होठोंको छुआ; तब मैं ने मुंह खोलकर कहा, और जो मेरे साम्हने खड़ा है, उस से कहा, हे मेरे प्रभु, दर्शन के द्वारा मेरे दु:ख दूर हो गए हैं, और मुझ में बल नहीं रहा।

17 क्‍योंकि मेरे प्रभु का दास इस मेरे प्रभु से क्‍योंकर बात कर सकता है? क्‍योंकि मुझ में अब न तो बल रहा, और न मुझ में प्राण ही बचा।

18 फिर वहां आकर मनुष्य के सादृश्य ने मुझे छूआ, और उस ने मुझे दृढ़ किया,

19 और कहा, हे अति प्रिय मनुष्य, मत डर; तुझे शान्ति मिले; मजबूत बनो, हाँ, मजबूत बनो। और जब उस ने मुझ से बातें की, तब मैं दृढ़ हुआ, और कहा, मेरे प्रभु बोलें; क्योंकि तू ने मुझे दृढ़ किया है।

20 तब उस ने कहा, क्या तू जानता है, कि मैं तेरे पास क्यों आता हूं? और अब मैं फारस के हाकिम से लड़ने को लौटूंगा; और जब मैं निकलूंगा, तब देखो, यूनान का प्रधान आ जाएगा।

21 परन्तु जो सत्य के पवित्रशास्त्र में लिखा है, वह मैं तुझे दिखाऊंगा; और इन बातों में कोई मेरा साथ नहीं रखता, केवल तेरा प्रधान मीकाएल है।


अध्याय 11

ग्रीस के राजा द्वारा फारस को उखाड़ फेंका गया - दक्षिण और उत्तर के राजाओं के बीच लीग और संघर्ष।

1 फिर मैं दारा मादी के पहिले वर्ष में उसको दृढ़ करने और दृढ़ करने को खड़ा हुआ।

2 और अब मैं तुझे सच्‍चाई दिखाऊंगा। देख, फारस में और भी तीन राजा खड़े होंगे; और चौथा उन सब से कहीं अधिक धनी होगा; और अपके बल से अपके धन के द्वारा यूनान के देश में सब को उभारेगा।

3 और एक पराक्रमी राजा खड़ा होगा, जो बड़े प्रभुत्व से राज्य करेगा, और उसकी इच्छा के अनुसार करेगा।

4 और जब वह खड़ा होगा, तब उसका राज्य टूट जाएगा, और आकाश की चारों दिशाओं में बंट जाएगा; और न उसके वंश के अनुसार, और न उसके अधिकार के अनुसार जिस पर वह शासन करता था; क्‍योंकि उसका राज्य उनके सिवा औरों के लिथे भी लूट लिया जाएगा।

5 और दक्खिन देश का राजा बलवन्त होगा, और उसका एक हाकिम भी होगा; और वह उसके ऊपर बलवन्त और प्रभुता करेगा; उसका राज्य बड़ा राज्य होगा।

6 और वर्षों के अन्त में वे आपस में मिल जाएंगे; क्योंकि दक्खिन देश के राजा की बेटी उत्तर देश के राजा के पास वाचा बान्धने को आए; परन्तु वह हाथ की शक्ति को बरकरार नहीं रखेगी; न वह खड़ा रहेगा, और न उसका हाथ; परन्तु वह छोड़ दिया जाएगा, और वे जो उसे लाए थे, और वह जिसने उसे जन्म दिया, और वह जिसने उसे इन दिनों में मजबूत किया।

7 परन्तु उसकी जड़ की डाली में से कोई अपके निज भाग में खड़ा होकर उत्तर देश के राजा के गढ़ में घुसकर उन से युद्ध करेगा, और प्रबल होगा;

8 और वे अपके देवताओं, और अपके हाकिमोंऔर सोने और चांदी के अनमोल पात्र मिस्र में बन्धुआई में ले जाएंगे; और वह उत्तर देश के राजा से भी अधिक वर्ष तक बना रहेगा।

9 तब दक्खिन देश का राजा अपके राज्य में आकर अपके देश को लौट जाएगा।

10 परन्तु उसके पुत्र उभारे जाएंगे, और बहुत बड़ी सेना इकट्ठी करेंगे; और कोई निश्चय आएगा, और उमड़ेगा, और वहां से होकर जाएगा; तब वह लौटकर अपके गढ़ तक उभारा जाएगा।

11 और दक्खिन देश का राजा उजड़ जाएगा, और वह निकलकर उत्तर के राजा से युद्ध करेगा; और वह एक बड़ी भीड़ को खड़ा करेगा; परन्तु भीड़ उसके हाथ में कर दी जाएगी।

12 और जब वह भीड़ को दूर ले जाए, तब उसका मन ऊंचा हो जाएगा; और वह बहुत से दस हजार को गिरा देगा; परन्तु वह उसके द्वारा दृढ़ न होगा।

13 क्योंकि उत्तर देश का राजा लौटेगा, और पहिले से भी बड़ी भीड़ को निकालेगा, और कुछ वर्षों के बाद एक बड़ी सेना और बहुत धन के साथ आएगा।

14 उस समय बहुत से दक्खिन देश के राजा के साम्हने खड़े होंगे; तेरी प्रजा के डाकू भी दर्शन को स्थिर करने के लिथे अपने को ऊंचा करेंगे; परन्तु वे गिरेंगे।

15 इसलिथे उत्तर का राजा आकर एक पहाड़ खड़ा करके सब से गढ़वाले नगरोंको ले लेगा; और दक्खिन की भुजाएं न टिकेंगी, और न उसकी चुनी हुई प्रजा, और न सहने की शक्ति होगी।

16 परन्तु जो कोई उस पर चढ़ाई करे, वह अपक्की ही इच्छा के अनुसार करे, और कोई उसके साम्हने खड़ा न हो; और वह उस महिमामय देश में खड़ा होगा, जो उसके हाथ से नाश हो जाएगा।

17 वह अपके सारे राज्य के बल पर, और सीधे अपके संग के लोगोंके बल से प्रवेश करने के लिथे प्रवेश करेगा; वह ऐसा करेगा; और वह उसे भ्रष्ट करनेवाली स्त्री की बेटी दे; परन्तु वह न तो उसके पक्ष में खड़ी होगी, और न उसके लिये ठहरेगी।

18 इसके बाद वह द्वीपों की ओर मुंह फेरेगा, और बहुतों को ले लेगा; परन्तु प्रधान अपके निमित्त अपक्की अपक्की नामधराई को दूर करे; वह अपनी निन्दा किए बिना उस पर पलटवार करेगा।

19 तब वह अपके देश के गढ़ की ओर मुंह फेर ले; परन्तु वह ठोकर खाकर गिरेगा, और उसका पता न चलेगा।

20 तब वह राज्य की महिमा के लिथे अपके निज भाग में कर वसूलने वाला खड़ा होगा; परन्‍तु थोड़े दिनों में वह न तो क्रोध में और न युद्ध में नाश किया जाएगा।

21 और उसके निज भाग में एक घटिया मनुष्य खड़ा होगा, जिस को वे राज्य की प्रतिष्ठा न करने देंगे; परन्‍तु वह कुशल से आएगा, और चापलूसी करके राज्य को प्राप्त करेगा।

22 और वे उसके साम्हने से जल-प्रलय की भुजाओं से भर जाएंगे, और टूट जाएंगे; हां, वाचा का राजकुमार भी।

23 और उसके साथ की गई वाचा के अनुसार वह छल से काम करे; क्‍योंकि वह चढ़ाई करेगा, और छोटे लोगोंके संग बलवन्त हो जाएगा।

24 वह प्रान्त के सबसे मोटे स्थानों में भी शान्ति से प्रवेश करेगा; और वह

जो न उसके पुरखाओं ने किया, और न उसके पुरखाओं के पुरखाओं ने किया है; वह उनके बीच शिकार, और लूट, और धन तितर-बितर करेगा; हां, और वह कुछ समय के लिए गढ़ों के विरुद्ध अपनी युक्तियों का पूर्वानुमान लगाएगा ।

25 और वह दक्खिन देश के राजा के विरुद्ध अपक्की शक्‍ति और हियाव बान्धे, और एक बड़ी सेना ले आए; और दक्खिन देश का राजा एक बहुत बड़ी और पराक्रमी सेना से लड़ने के लिथे उभारा जाएगा; परन्तु वह खड़ा न होगा; क्योंकि वे उसके विरुद्ध युक्ति की भविष्यवाणी करेंगे।

26 वरन जो उसके मांस में से कुछ खाएगा, वह उसे नाश करेगा, और उसकी सेना उमड़ पड़ेगी; और बहुत से लोग मारे जाएँगे।

27 और इन दोनों राजाओं के मन शरारत करने के लिथे लगे रहेंगे, और वे एक ही मेज पर फूठ बोलेंगे; परन्तु वह सुफल न होगा; क्योंकि अन्त नियत समय पर होगा।

28 तब वह अपके देश में बहुत धन लेकर लौटेगा; और उसका मन पवित्र वाचा के साम्हने लगे रहे; और वह शोषण करेगा, और अपके देश को लौट जाएगा।

29 और नियत समय पर वह लौटकर दक्खिन की ओर आए; परन्तु वह न तो पहिली, और न दूसरी हो।

30 क्योंकि चित्तियों के जहाज उस पर चढ़ाई करेंगे; इसलिथे वह उदास होकर लौटेगा, और पवित्र वाचा पर कोप करेगा; वह ऐसा करे; वह लौटेगा, और पवित्र वाचा को त्यागनेवालोंके पास बुद्धि रखेगा।

31 और उसकी ओर से हथियार खड़े हों, और वे बल के पवित्रस्थान को अपवित्र करें, और प्रतिदिन के बलिदान को उठा ले जाएं, और उस घृणित वस्तु को जो उजाड़ देती है, रख दें।

32 और जो वाचा के विरुद्ध दुष्ट काम करते हैं, वे चापलूसी करके भ्रष्ट हो जाएंगे; परन्तु जो लोग अपके परमेश्वर को जानते हैं वे बलवन्त होंगे, और शोषण करेंगे।

33 और जो लोग प्रजा में समझ रखते हैं, वे बहुतों को शिक्षा देंगे; तौभी वे बहुत दिन तक तलवार, और ज्वाला, बन्धुआई और लूट से मारे जाते रहेंगे।

34 अब जब वे गिरें, तब वे थोड़ी सी सहायता से ओढ़े रहें; परन्तु बहुत से लोग चापलूसी के साथ उन से लिपटे रहेंगे।

35 और उन में से कितने समझदार लोग गिरेंगे, कि उन्हें परखें, और शुद्ध करें, और अन्त के समय तक उन्हें श्‍वेत करें; क्योंकि यह अभी नियत समय के लिए है।

36 और राजा अपक्की इच्छा के अनुसार करे; और वह अपने आप को ऊंचा करेगा, और सब देवताओं से बड़ा होगा, और देवताओं के परमेश्वर के विरुद्ध अद्भुत बातें कहेगा, और जब तक क्रोध पूरा न हो जाए तब तक वह समृद्ध होगा; उसके लिए जो निर्धारित किया जाएगा वह किया जाएगा।

37 न तो वह अपके पितरोंके परमेश्वर को, और न स्त्रियोंकी अभिलाषा को, और न किसी देवता को माने; क्योंकि वह अपने आप को सब से अधिक बड़ा करेगा।

38 परन्‍तु अपके निज भाग में वह सेनाओं के परमेश्वर का आदर करेगा; और जिस देवता को उसके पुरखा न जानते थे, वह सोने, चान्दी, और मणि, और मनभावनी वस्तुओं से उसका आदर करे।

39 वह सबसे गढ़ों में एक पराए देवता के साथ ऐसा करेगा, जिसे वह स्वीकार करेगा और महिमा के साथ बढ़ेगा; और वह उन से बहुतों पर प्रभुता करेगा, और देश को लाभ के लिथे बांट लेगा।

40 और अन्त के समय दक्खिन देश का राजा उसको धक्का देगा; और उत्तर देश का राजा बवण्डर की नाईं उस पर चढ़ाई करेगा, और रय, और सवार, और बहुत से जहाज लिये हुए होंगे; और वह देश देश में प्रवेश करेगा, और उमड़कर पार हो जाएगा।

41 वह भी महिमा के देश में प्रवेश करेगा, और बहुत से देश उलट दिए जाएंगे; परन्तु एदोम, मोआब, और अम्मोनियोंके प्रधान उसके हाथ से बच निकलेंगे।

42 वह देश देश पर भी हाथ बढ़ाएगा; और मिस्र देश न बच पाएगा।

43 परन्तु वह सोने और चान्दी के भण्डारों, और मिस्र के सब बहुमूल्य वस्तुओं पर अधिकार करेगा; और लीबियाई और कूशी उसके पांवोंके पास हों।

44 परन्तु पूरब और उत्तर दिशा की ओर से समाचार आने से वह घबराएगा; इसलिथे वह बड़े जलजलाहट के साथ नाश करने, और बहुतोंको सत्य रीति से नाश करने को निकलेगा।

45 और वह अपके भवन के निवासोंको समुद्र के बीच तेजोमय पवित्र पर्वत पर लगाए; तौभी उसका अन्त हो जाएगा, और कोई उसकी सहायता न करेगा।


अध्याय 12

माइकल इस्राएल को उनके संकटों से छुड़ाएगा — दानिय्येल को समय के बारे में सूचित किया जाता है।

1 और उस समय मीकाएल नाम बड़ा प्रधान जो तेरी प्रजा की सन्तान के लिथे खड़ा होगा, खड़ा होगा; और ऐसी विपत्ति का समय आएगा, जैसा जाति के उत्पन्न होने के समय से लेकर उस समय तक कभी न था; और उस समय जितने लोग पुस्तक में लिखे हुए पाए जाएं, वे सब तेरी प्रजा के हाथ छुड़ा दिए जाएंगे।

2 और जितने पृय्वी की मिट्टी में सोए हैं, उन में से बहुतेरे जाग उठेंगे, और कितने सदा के जीवन के लिथे, और कितने लज्जित होने और अनन्त काल के तिरस्कार के लिथे।

3 और बुद्धिमान लोग आकाशमण्डल के तेज के समान चमकेंगे; और वे जो बहुतों को धर्म की ओर फिरते हैं, वे तारे के समान सदा सर्वदा बने रहेंगे।

4 परन्तु हे दानिय्येल, तू वचनोंको बन्द कर, और अन्त के समय तक उस पुस्तक पर मुहर लगा दे; बहुत से लोग इधर-उधर भागेंगे, और ज्ञान बढ़ाया जाएगा।

5 तब मैं दानिय्येल ने दृष्टि की, और क्या देखा, कि दो और खड़े हैं, एक तो महानद के इस पार, और दूसरा महानद के उस पार।

6 और किसी ने उस सन के वस्त्र पहिने हुए पुरूष से, जो महानद के जल के ऊपर था, कहा, इन आश्चर्यकर्मोंके अन्त तक कितने दिन होंगे?

7 और जब उस ने अपके दहिने हाथ और अपके बाएँ हाथ को आकाश की ओर थामे हुए, और सदा जीवित रहनेवाले की शपय खाकर कहा, कि यह सब समय, , और आधा; और जब वह पवित्र लोगोंकी सामर्थ को तितर-बितर करने का काम पूरा कर ले, तब ये सब बातें पूरी हो जाएं।

8 और मैं ने सुना, परन्तु न समझा; तब मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु, इन बातोंका अन्त क्या होगा?

9 उस ने कहा, हे दानिय्येल, चला जा; क्योंकि शब्द अन्त के समय तक बन्द और मुहरबंद हैं।

10 बहुतेरे शुद्ध किए जाएंगे, और श्‍वेत किए जाएंगे, और परखे जाएंगे; परन्तु दुष्ट दुष्ट ही करेगा; और कोई दुष्ट न समझेगा; लेकिन बुद्धिमान समझेंगे।

11 और जब से प्रतिदिन का मेलबलि, और घिनौना काम जो उजाड़ दिया जाए, वह एक हजार दो सौ नब्बे दिन का हो।

12 क्या ही धन्य है वह जो बाट जोहता है, और एक हजार तीन सौ पैंतीस दिन तक जीवित रहता है।

13 परन्तु अन्त तक अपने मार्ग पर चलते रहो; क्योंकि तू विश्राम करेगा, और दिनों के अन्त में अपक्की चिट्ठी में खड़ा होगा।

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